टेक कंपनियों द्वारा बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म अजमा रही नए-नए हथकंडे, गूगल और फेसबुक ने किया था गुप्त समझौता

लंदन
दिग्गज टेक कंपनियों द्वारा बाजार में प्रतिस्पर्धा खत्म करने के नए-नए हथकंडे सामने आ रहे हैं। ताजा खुलासा ऑनलाइन विज्ञापन बिक्री में एकाधिकार के लिए फेसबुक और गूगल के बीच गुप्त समझौते से जुड़ा है।

कोर्ट दस्तावेजों से पता चला है कि 2017 में फेसबुक ने डिजिटल विज्ञापन बाजार में गूगल का नियंत्रण खत्म करने के लिए नया रास्ता अपनाने की बात कही थी। हालांकि दो साल के भीतर ही कंपनी ने यू-टर्न लेते हुए गूगल का समर्थन करने वाली कंपनियों के समूह से जुड़ने की घोषणा कर दी। जानकारी के मुताबिक, बाजार में प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए दिग्गज टेक कंपनियों के बीच हुए सौदे के खुलासे ने फिर से चिंताएं बढ़ा दी हैं।

गूगल के खिलाफ कदम बढ़ाने वाला था फेसबुक, पर अचानक मिलाया हाथ
गूगल के खिलाफ कदम बढ़ाने वाला था फेसबुक पर अचानक दोनों कंपनियों ने आपस में हाथ मिला लिया। फेसबुक ने कदम खींचने की आज तक वजह नहीं बताई है।

पिछले साल 10 अमेरिकी राज्य द्वारा दायर एंटी ट्रस्ट मुकदमे में दिए सबूतों से पता चला है कि गूगल ने प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए फेसबुक से हाथ मिलाकर उसे कई तरह के फायदे पहुंचाए हैं। दिलचस्प बात यह है कि फेसबुक ने गूगल के खिलाफ अपने प्रोजेक्ट से कदम खींचने की वजह आज तक नहीं बताई है।

न्यूयॉर्क एंटी ट्रस्ट ब्यूरो में पूर्व सहायक अटॉर्नी जनरल सेली हबार्ड का कहना है कि टेक कंपनियां एक-दूसरे का एकाधिकार मजबूत करने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाती हैं। ऐसे समझौते डिजिटल विज्ञापन जगत में आम है और उन्होंने इसके जरिए प्रतिस्पर्धा नहीं रोकी है।

गूगल का समर्थन करने वाली 20 कंपनियों में से छह के अधिकारियों ने बताया कि गूगल ने उनके साथ हुए समझौतों में फेसबुक जितने उदार प्रावधान नहीं रखे थे। उनका कहना है कि फेसबुक को गूगल ने अन्य कंपनियों के मुकाबले कहीं ज्यादा तवज्जो दी है।

आंकड़ों के मुताबिक, गूगल और फेसबुक का 2019 में आधे से ज्यादा डिजिटल विज्ञापन पर कब्जा था। दुनिया भर में ऑनलाइन विज्ञापनों पर सालाना सैकड़ों अरबों डॉलर खर्च होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन 60 फीसदी विज्ञापन स्थान की खरीद बिक्री स्वचालित (ऑटोमेटेड) होती है।

मुकदमे के मुताबिक, फेसबुक ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया था कि इस क्षेत्र में वह गूगल के साथ दिसंबर 2018 में जुड़ी थी। कंपनी ने यह साफ नहीं किया कि गूगल ने उसे विज्ञापन नीलामी में सफल होने के लिए कुछ विशेष सूचनाएं और गति लाभ दिए थे, जिनसे अन्य कंपनियों को वंचित रखा गया।

नई गोपनीयता नीति पर दिल्ली हाईकोर्ट में व्हाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने कहा याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है दोस्तों व परिवार के बीच की गई चैट सुरक्षित एनक्रिप्टेड रहेगी और उसे व्हाट्सएप एकत्र नहीं करता नई नीति का सिर्फ बिजनेस चैट ही प्रभावित होगी।

पेशे से वकील याचिकाकर्ता ने कहा, नई गोपनीयता नीति संविधान के तहत निजता के अधिकारों का हनन करती है। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि नई नीति यूजर की ऑनलाइन गतिविधियों तक पूरी पहुंच की अनुमति देती है और इसमें सरकार की कोई निगरानी नहीं है।

Source : Agency

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